बुधियारों के लिए, बुड़बकों की ओर से....
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प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने वाले छात्रों के द्वारा हाल ही में किये गये चक्काजाम के बाद उन्हें राजनीतिक चेतना विहीन , कम पढ़ा-लिखा या सीधे-सीधे बुड़बक कह दिया गया. ऐसा क्यों हुआ कि जब छात्र अपने सीधेपन और निरापद सहिष्णुता से बाहर आकर आंदोलनरत हुए तो उन्हें बुड़बक कह दिया गया. सरकार और व्यवस्था छात्रों को गधा बनाये रखना चाहती है , जिसमें वे बहुत हद तक सफल भी है. लेकिन जब छात्र उनके गदहेपन से बाहर निकल रहे है तो उन्हें बुड़बक कह दिया जा रहा है. नेताओं , पार्टियों , बुद्धिजीवियों और मीडिया-मैनेजरों द्वारा छात्रों को बुड़बक कहे जाने के कारणों को हम देखने की कोशिश करेंगे. हम हमेशा से देखते आ रहे हैं , कि किस प्रकार राजसत्ता युवाओं को सिर्फ और सिर्फ वोट की राजनीति में उलझाये रखना चाहती है. जिसमें प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने वाले छात्र भी शामिल हैं. जब तक छात्र आपकी राजनीति के लिए मोहरे के रूप में काम करते हैं तबतक इनसे कोई शिकायत नहीं रहती और जैसे ही यह छात्र अपने सारे अंतर्विरोधों को तोड़कर अपने हकों के लिए चक्काजाम करते हैं , तो इन्हें बुड़बक करार दे दिया जाता है. क्या प्रतियोग