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अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस - एलेक्जेंड्रा कोल्लोंताई (मॉस्को, 1920)

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  (महिलाओं की आजादी का सर्वहारा दृष्टिकोण अपने आरम्भ से ही क्रान्ति के भीतर क्रांति या सतत क्रांति के लक्ष्यों को सामने रखता है. राजनीतिक स्वतंत्रता के सवालों को समानता की वास्तविक लड़ाई से अलग न होने देने की चुनौती. मुक्ति केवल अधिकार प्राप्ति की कानूनी लड़ाईयों से नहीं बल्कि कामगार-महिलाओं-गृहणियों-वेश्याओं-पागलों-कुलटाओं-बेकारों का जीवन और पैदावार के साधनों से हो रहे अपने बलात्कार के खिलाफ मूलभूत संघर्ष में, जीवन के सर्वथा नए संगठन के निर्माण में है. अपनी ऐतिहासिक सीमाओं के बावजूद सौ वर्ष पहले का यह दस्तावेज दिखाता है कि हमारी आजादी का संघर्ष दरअस्ल सामाजिक आत्म-निर्धारण के वैश्विक आन्दोलन से अलग नहीं है- श्रम की/से मुक्ति के आन्दोलन से अलग नहीं है. हमारी आज़ादी की लड़ाई ‘सर्वहारा अधिनायकत्व’ की प्रक्रियाओं की हिस्सेदारी और दावेदारी में है क्योंकि इन्हीं प्रक्रियाओं में राजनीतिक और आर्थिक के अलगाव से जन्म लेने वाली पूंजीवादी राज्य-सत्ता का निर्माण असंभव होता जाता है. इस तरह हमारी लड़ाई ‘महिला सशक्तिकरण’ की लड़ाई नहीं, इसी समाज में पुरुष कामगारों के बराबर स्वीकार किये जाने की नहीं बल्क...